Thursday, 19 October 2017

दर्द के फूल भी खिलते है बिखर जाते है..


दर्द के फूल खिलते है बिखर जाते है..
ज़ख्म कैसे भी हों कुछ रोज में भर जाते है..!!
छत की कड़ियों से उतरते हैं मेरे ख़्वाब मगर..
मेरी दीवारों से टकरा के बिखर जाते हैं..!!

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